आमलकी एकादशी की महिमा को बताते हुए श्री कृष्ण जी कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं इनके लिए ये एकादशी अत्यंत श्रेष्ठ है।
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।
शास्त्रों के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन करना बहुत लाभकारी होता ह। आज के दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन, आंवले काआंवले का भोजन और आंवले का दान करना चाहिए।
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पौराणिक कथा के अनुसार इस सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। उनको स्वयं के बारे में जानने की चाह हुई। वे जानना चाहते थे कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की तपस्या प्रारंभ कर दी। काफी समय बाद उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनको दर्शन दिया।
उनके दर्शन पाकर ब्रह्मा जी भावुक हो गए और आंखों से आंसू बह निकले। उनके आंसुओं से ही आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ। तब उनकी तपस्या से प्रसन्न भगवान विष्णु ने कहा कि आपके आंसू से आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ है, इस वजह से यह पेड़ और इसका फल उनको बहुत प्रिय होगा। आज से जो कोई भी आमलकी एकादशी व्रत करेगा और आंवले के पेड़ के नीचे विधि विधान से मेरी पूजा करेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा और उसके सभी पाप कर्म खत्म हो जाएंगे।
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